दोस्तों आपने अब तक मछली पालन की
पहली व दूसरी कड़ी में "मछली उत्पादन" और "मोती उत्पादन की
संस्कृति" के
बारे में पढ़ा l आज हम आप सभी से मछली पालन की तीसरी कड़ी " मूल्य संवर्द्धित उत्पाद"
के बारे में शेयर करने जा रहे हैं l आपसे अनुरोध है कि इसे अधिक से अधिक
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नोट: -मछली पालन की पहली कड़ी "मछली उत्पादन" को
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मछली पालन की दूसरी कड़ी "मोती उत्पादन की संस्कृति"
को पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायेंl
मूल्य संवर्द्धित उत्पाद
इस भाग में
मछलियों और उनके सह उत्पादों से तैयार किये जाने वाले विभिन्न मूल्य संवर्द्धित
उत्पादों की जानकारी को यहाँ प्रस्तुत किया गया है।
मछली से प्राप्त मूल्य संवर्धित उत्पाद
इस शीर्षक में
मछली और झींगे से बनाये जाने वाले विभिन्न मूल्य संवर्धित उत्पादों की जानकारी दी
गई है।
रेनबो ट्राउट से प्राप्त उत्पाद
इस भाग में रेनबो
ट्राउट से प्राप्त होने वाले मूल्य संवर्धित उत्पादों की जानकारी दी गई है।
मछली से प्राप्त मूल्य संवर्धित उत्पाद
केन्द्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा विकसित किये
गये कई उत्पादों में से एक फ़िश कटलेट है। इस उत्पाद को बनाने के लिए जिस मौलिक
कच्चे माल की आवश्यकता होती है वह है कुक्ड फ़िश या 'फ़िश
खीमा' (माँस पकड़ने वाले मशीन के द्वारा पूरी मछली में से
प्राप्त किए गए माँस)।
सामग्री
·
कुक्ड मछली माँस : 1000 ग्राम
·
नमक : 25 ग्राम (लगभग- स्वाद अनुसार)
·
ऑयल : 125 मिली लीटर
·
हरी मिर्ची : 15 ग्राम
·
अदरख : 25 ग्राम
·
प्याज : 250 ग्राम
·
आलू (कुक्ड) : 500 ग्राम
·
मरीच (Powder) : 3 ग्राम ( स्वाद अनुसार)
·
लौंग (शक्तिशाली) : 3 ग्राम
·
दालचीनी (शक्तिशाली) : 2 ग्राम (स्वाद अनुसार)
·
हल्दी : 2 ग्राम
·
अंडा : 4
·
ब्रेड पावडर : 200 ग्राम
बनाने की विधि
·
मछली के टुकड़ों को उबलते पानी में 20 मिनट तक पकाएँ।
·
पानी निकाल दें। (यदि मछली पूरी हो तो मछली को ड्रेस करें
और 30 मिनट तक पका कर पानी निकाल दें)
·
त्वचा, स्केल और हड्डी निकाल दें और माँस अलग कर
लें।
·
पकाए गए माँस में नमक और हल्दी मिलाएँ और ठीक से मिला दें।
·
कटे हुए प्याज को तेल में भूरा होने तक फ्राई करें। मिर्च
और अदरख फ्राई करें। पकाये गये माँस में इसे मिला दें।
·
मसले हुए आलू और मशालों को माँस के साथ ठीक से मिला दें।
·
इसमें से करीब 40 ग्राम को अंडा या गोल आकार में बनाएँ और
उसे घिसे हुए अंडों में मिलाकर ब्रेड पावडर में लपेटें (रॉल करें) और फ्रीज़र में
रख दें।
·
उसे गीला होने दें और प्रयोग से पहले तेल में फ्राइ करें।
स्रोत : केन्द्रीय मत्स्य
प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचीन
फ़िश बॉल
कुछ मछलियाँ ऐसी होती हैं जो ताजा मछली के रूप में बाजार
में अपना प्रभाव नहीं रखती हैं लेकिन इसके पोषक मूल्य और अन्य गुणों के कारण टेबल
मछलियों (खाई जाने वाली मछलियों) में इसकी तुलना की जाती है। ऐसे मछलियों का उपयोग
प्रभावी तरीका से हो, यह सुनिश्चित करने की एक विधि यह है कि
परोसे जाने के लिए तैयार या पकाये जाने के लिए तैयार गुण से संपन्न 'सुगम' उत्पादों का प्रसंस्करण किया जाए जिसके लिए
देश और विदेश, दोनों स्थानों से बहुत ही अधिक माँग की जाती
है। फ़िश बॉल ऐसा ही एक उत्पाद है जिसके लिए मछलियों के छोटे-छोटे टुकड़ों और
स्टार्च का प्रयोग किया जाता है। उपयुक्त तरल माध्यम में इसका प्रसंस्करण आवृत
उत्पाद या ताप-प्रसंस्कृत उत्पाद के रूप में किया जाता है।
तैयार करने की विधि
·
मेकैनिकल मीट बोन सेपरेटर (माँस और हड्डी को अलग करने वाली
मशीन) का प्रयोग कर मछलियों के सिर को अलग करने, आँत निकालने और 1% नमक एवं 5% स्टार्च (यदि आवश्यक हो तो लहसुन,
अदरख आदि मशालों का उपयोग किया जा सकता है) द्वारा ठीक से धोने के
बाद मछली से तैयार किये गये उसके टुकड़ों को मिलाएं।
·
प्राप्त परिमाण से 2-3 सेंटी मीटर व्यास आकार का बॉल बनाएँ और
इसे 1% खारा पानी में 5-10 मिनट तक
उबालें।
·
पकाए गये बॉल को ठंढ़ा होने दें। उसके बाद इस पर लेप और
ब्रेड लगाएं।
·
इसके बाद बॉल को ऐसे ही या गर्म वेजिटेबल ऑयल में फ्लैश
फ्राई कर मुख्यतः थर्मोफॉर्म्ड ट्रे में पैक कर दें।
·
फ्रीज़िंग कर और -18°C पर रखकर संरक्षित करें।
फ़िश बॉल के प्रसंस्करण के लिए यद्यपि मछली के विभिन्न
जातियों के टुकड़ों का प्रयोग किया जाता है तथापि थ्रेडफिन ब्रीम (नेमिप्टेरस
जैपोनिकस), पालिकोरा
(ओटोलिथस अर्जेन्टुस) और बैरैक्युडा (स्फाइरैना एसपीपी) संतोषप्रद उत्पाद प्रदान
करते हैं। ताजा पानी की मछलियाँ, जैसे रोहु (लैबियो रोहिता)
और कतला के टुकड़ों का प्रयोग भी किया जा सकता है। हालांकि ऐसे मामलों में
इंटरस्टाइटियल स्पाइन को निकालने के लिए टुकड़ों को मेकैनिकल स्ट्रेनर से होकर
गुजारना होता है।
स्रोत : केन्द्रीय मत्स्य
प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचीन
पारंपरिक रूप से नींबू, गूजबेरी, अदरख,
लहसुन आदि से बने अचार का प्रयोग खाना के समय महत्वपूर्ण साइड डिश
(पूरक भोजन) के रूप में किया जाता है। यद्यपि पूर्व में मछली या माँस से इस प्रकार
के आचार नहीं बनाये जाते थे, तथापि आजकल इस प्रकार के उत्पाद
बहुत प्रसिद्ध हो गए हैं और बाजार में आजकल कई ब्राण्ड नाम से ऐसे उत्पाद उपलब्ध
हैं।
सामग्री
·
मछली (ड्रेस किया हुआ और छोटे टुकड़ों में कटा हुआ) : 01 किलो ग्राम
·
सरसों : 10 ग्राम
·
हरी मिर्ची (टुकड़ों में कटा हुआ) : 50 ग्राम
·
लहसुन (छिलका निकाला हुआ) : 200 ग्राम
·
अदरख (छिलका निकाला हुआ और काटा हुआ) : 150 ग्राम
·
मिर्ची पाउडर : 50 ग्राम
·
हल्दी पाउडर : 2 ग्राम
·
तिल का तेल : 200 ग्राम
·
सिरका (एसिटिक एसिड 1.5%) : 400 मिली
·
नमक : 60ग्राम
·
मरीच (पाउडर) : 2.5ग्राम
·
चीनी : 10ग्राम
·
इलायची, लौंग, दालचीनी
(पाउडर) : 1.5 ग्राम
बनाने की विधि
मछली को इसके भार के 3% नमक के साथ एक समान रूप से मिला दें और 2
घंटे तक छोड़ दें। हल्का नमक वाले और आंशिक रूप से सूखे मछली का प्रयोग
भी किया जा सकता है। मछली को कम से कम तेल में तलें। तली हुई मछली को अलग रखें।
बचे हुए तेल में सामग्री (सरसों, हरी
मिर्च, लहसुन, अदरख) को तलें और उसमें
मिर्ची पाउडर, मरीच पाउडर और हल्दी पाउडर मिला कर कम लौ पर
कुछ मिनटों के लिए ठीक से मिलाएँ। उसे आग पर से हटा दें। तली हुई मछली डालकर ठीक
से मिलाएं। ठंडा हो जाने पर सिरका, इलायची पाउडर, लौंग, दालचीनी, चीनी और बाकी
बचे नमक डालकर सभी को ठीक से मिलाएँ। सामग्री को ठीक से मिलाने के लिए उबला और
ठंडा किया हुआ पानी का उपयुक्त मात्रा में प्रयोग कर सकते हैं। इसे अब साफ व
स्टेराइल ग्लास बोतल में रख दें और एसिड प्रूफ कैप (ढक्कन) से सील कर दें। यह
ध्यान रखें कि बोतल में सामग्री के ऊपर तेल की एक परत बनी हुई है।
अचार को पैक करने के लिए 12 माइक्रोन पॉलिस्टर से बने और 118
माइक्रोन एलडी-एचडी को-एक्ट्रूडेड फिल्म से लैमिनेटेड किये गये
मुलायम पाउचों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
सामग्री
·
प्रॉन (छिलका निकाला हुआ) : 1 किलो ग्राम
·
हरी मिर्ची (छोटे-छोटे टुकड़े) : 50 ग्राम
·
अदरख (छोटे-छोटे टुकड़े) : 150 ग्राम
·
लहसुन : 200 ग्राम
·
मिर्ची पाउडर : 35 ग्राम
·
हल्दी पाउडर : 2 ग्राम
·
तिल का तेल : 200 मि.ली.
·
सिरका (1.5% एसिटिक एसिड): 300 मिली लीटर (उबाला हुआ और ठंडा किया हुआ)
·
नमक (लगभग 60 ग्राम) : स्वाद अनुसार
बनाने की विधि
छिलका निकाले हुए प्रॉन को नमक (प्रॉन के वजन के अनुसार 3%) के साथ मिलाएँ और 1-2 घंटो तक धूप में सूखने के लिए
छोड़ दें। बहुत ही कम तेल में प्रॉन को तलें और अलग कर लें। लहसुन, अदरख और हरी मिर्ची को बाकी बचे तेल में तलें। जब इसका रंग भूरा हो जाए तो
मिर्ची पाउडर, हल्दी पाउडर डालें और कम लौ पर मिलाएं। लौ से
हटा दें। प्रॉन डालें और ठीक से मिलाएँ। ठंडा होने दें और सिरका, चीनी और बाकी बचे नमक डाल दें। यदि आवश्यक हो तो 1% एसिटिक
एसिड डालें ताकि सब घुल जाए। इसे अब साफ व सूखे बोतल में रख दें और ध्यान रखें कि
बोतल में सामग्री के ऊपर तेल की एक परत बनी हुई है।
आचार पैक करने के लिए 12 माइक्रोन पॉलिस्टर से बने और 118 माइक्रोन एलडी-एचडी को-एक्ट्रूडेड फिल्म से लैमिनेटेड किये गए मुलायम
पाउचों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
स्रोत : केंद्रीय मत्स्य
प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचीन
कार्बोहाइड्रेट को मुख्य आधार बनाकर और मशालायुक्त या बिना
मशाले के नमक व कई अन्य अवयवों से समाहित शुष्क, तलकर तुरंत खाने के लिए तैयार
वेफ़र्स देश के अधिकतर भाग में प्रसिद्ध है। ऐसे उत्पादों को विभिन्न भाषाओं में
अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जैसे- मलयालम में 'कोंदत्तार्ण',
तमिल में 'वाठल', कन्नड़ी
में 'सैंडिंग्स', तेलुगु में 'ओडियालू' और बंगाली में 'टिकिया'। फ़िश प्रोटीन से भरे ऐसे उत्पादों का रेसिपि और उसे बनाने की विधि नीचे
दी गई है:
सामग्री
·
प्रसंस्कृत मछली का माँस : 2 किलो ग्राम
·
मक्के का आटा : 1 किलो ग्राम
·
टैपोइका स्टार्च : 2 किलो ग्राम
·
साधारण नमक : 50 ग्राम
·
पानी : 3.5 लीटर
बनाने की विधि
·
किसी मेकैनिकल ग्राइंडिंग मशीन में प्रसंस्कृत मछली के माँस
को 1 लीटर
पानी में 10 मिनट तक मिलाकर एक समान मिश्रण बना लें।
·
मक्के का आटा, कसावा स्टार्च और नमक व बाकी बचे पानी
डालकर सभी को 1 घंटे तक ब्लेंड करें।
·
समान रूप से मिश्रित सामग्रियों को एक-समान रूप से किसी
एल्युमिनियम ट्रे में 1-2 मिली मीटर की मोटाई वाली पतली परत में
फैलाएं और 3-5 मिनट तक भाप में पकाएँ।
·
घर के सामान्य ताप पर उस ठंडा होने दें।
·
पकाये गए सामान को अपेक्षित आकार में काटें और धूप में या
किसी कृत्रिम ड्रायर से 45° सेंटीग्रेड से 50° सेंटीग्रेड
तक के ताप पर सुखाएँ ताकि नमी 10% से कम पर आ जाए।
·
सूखे उत्पादों के उपयुक्त समूहों को किसी पोलिथिन बैग में
या शीशे के बोतल में रखकर पैक कर दें और बिक्री किये जाने तक किसी ठंडे व शुष्क
स्थान पर इसे सुरक्षित रखें।
इस उत्पाद को 2 वर्षों तक अच्छी स्थिति में रखा जा सकता
है।
यदि आवश्यक हो तो प्रसंस्कृत मछली के माँस में अन्य सामग्री
के मिश्रण के समय अपेक्षित रंग प्राप्त करने के लिए अनुमति प्राप्त भोज्य रंग
(भोजन में प्रयोग किये जाने वाले रंग) का प्रयोग किया जा सकता है।
सामान्यतः इस प्रकार के उत्पाद को तेल में तलने के बाद साइड
डिश के रूप में उपयोग किया जाता है।
स्रोत : केन्द्रीय मत्स्य
प्रौद्योगिक संस्थान, कोचीन
मुलायम पाउचों में प्रसंस्कृत फ़िश कढ़ी का उपलब्ध होना
आजकल बहुत ही अधिक मूल्य का उत्पाद माना जाता है। वर्तमान में कंटेनर के रूप में
मेटल (धातु से बने) केन का उपयोग किया जाता है।
परोसे जाने के लिए तैयार फ़िश कढ़ी हेतु वर्तमान में
प्रचलित भंडारण कंटेनर से हानि
·
धातु के बरतन में भंडारण के बाद उत्पाद में अवांछित स्वाद आ
जाता है।
·
भारत में धातु का बरतन काफी महंगा है।
·
धातु के बरतन मजबूत नहीं हैं तो कंटेनर में से रिसाव की
संभावना रहती है।
·
प्रयोग में लाये जाने वाले लचीले पाउच ताप स्थिर नहीं होते
हैं और इसकी हानियाँ होती हैं।
परोसे जाने के लिए तैयार फ़िश कढ़ी पैक करने के लिए उन्नत
विधि
·
परोसे जाने के लिए तैयार फ़िश कढ़ी को पैक करने के लिए
केन्द्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईएफटी) द्वारा तीन स्तरीय संरचना वाले
मुलायम पाउच विकसित किये गये हैं।
·
यह एक कठोर व लचीला पाउच है जो पॉलिस्टर एल्युमीनियम
फ्वाइल/कास्ट पोलिप्रोपाइलिन पर आधारित होता है।
·
सीआईएफटी द्वारा विकसित संरचना के आधार पर इन मुलायम पाउचों
का निर्माण भारत में किया जाता है।
·
अति दबाव ऑटोक्लेव के माध्यम से सीआईएफटी द्वारा इन पाउचों
में फ़िश कढ़ी के निर्माण के लिए प्रक्रिया मानक तैयार की गई है। इस तरीका से
प्रसंस्कृत कढ़ी बिना किसी परिवर्तन के कक्ष के ताप पर एक वर्ष से अधिक समय तक रह
सकती है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
निदेशक,
केन्द्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीएआर),
केन्द्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीएआर),
सी.आई.एफ.टी जंक्शन, मत्स्यपुरी, पी.ओ.
विलिंगटन आइलैंड, कोचीन - 682 029,
केरल (भारत),
फोन: 91 (0) 484-2666845
फैक्स: 91 (0) 484-2668212
रेनबो ट्राउट से प्राप्त उत्पाद
- ताजी ट्राउट का
प्रबंधन कैसे करें
- जमी हुई ट्राउट
- स्मोक्ड ट्राउट
- कोटेड फिल्लेट्स
- कैन्ड ट्राउट
रेनबो ट्राउट मछली की एक प्रजाति है। यह मूलतः विदेशों में
ठंडे पानी में पायी जाती है और इसे भारत के कई इलाकों में इसका उत्पादन शुरू किय
गया है। हिमालय की तराई, कश्मीर, कर्नाटक के
पश्चिमी घाटों की ऊपरी इलाकों, तमिलनाडु और केरल रेनबो
ट्राउट के कल्चर के लिए आदर्श स्थान है। भारत में शहरी लोगों के बीच इस मछली की
माँग बहुत अधिक है। वर्तमान में भारत में इस मछली की बिक्री ताजी ठंड की गई स्थिति
में की जाती है। विभिन्न प्रकार के मूल्य संवर्धित उत्पादें बनाने के लिए यह
प्रजाति आदर्श मानी जाती हैं।
ताजी ट्राउट का प्रबंधन कैसे करें
·
बेहतर संरक्षण के लिए तुरंत पकड़ी गई मछली की आंत निकालकर, धोकर
बर्फ में पैक कर दी जानी चाहिए।
·
यदि बर्फ में रखे रहने की प्रक्रिया अच्छी हो, तो
पूरी ताजी मछली संरक्षित की जा सकती है।
·
जीवाणु के संदूषण को कम करने के लिए मछलियों की आँत निकाल
दी जानी चाहिए, गिल
हटा दी जानी चाहिए और बर्फ में पैक करने से पहले ठीक से धो देनी चाहिए। मछली की
बिक्री पूरी मछली के रूप में या फिल्लेट्स (पुट्ठे का माँस) के रूप में की जा सकती
है। प्रसंस्करण के विभिन्न स्तरों पर प्राप्त उत्पाद की जानकारी नीचे दी गई है:
प्रसंस्करण के विभन्न स्तर
|
उत्पादन
|
त्वचायुक्त फिल्लेट्स
त्वचाहीन फिल्लेट्स
मिन्स (टुकड़ियाँ)
|
42.1 - 48.1 %
39.6 - 42.5 %
33.9 - 38.7 %
|
फसल से प्राप्त रेनबो ट्राउट के विभिन्न घटक निम्नानुसार
हैं:
नमी
|
78.10 %
|
अपरिष्कृत प्रोटीन
|
19.80 %
|
वसा (फैट)
|
0.62 %
|
ऐश (अपशिष्ट)
|
0.61 %
|
जमी हुई ट्राउट
अत्यंत ही शीत व जम जाने वाली स्थिति में संरक्षित कर रेनबो
ट्राउट को अच्छी स्थिति में रखा जा सकता है। जमे हुए सामान में से ऑक्सीकरण व
निर्जलीकरण को कम करने से बचाने के लिए अलग-अलग मछली को पोलिथाइलिन कवर में पैक कर
देना बहुत ही प्रभावी होता है। जमी हुई पूरी ट्राउट मछली- 18 ° सेंटीग्रेड
ताप पर 12 महीने तक अच्छी स्थिति में रखी जा सकती है।
स्मोक्ड ट्राउट
ट्राउट के मूल्य में संवर्धन का सबसे सामान्य रूप यह है कि
आँत निकाली हुई पूरी मछली को हॉट स्मोक्ड उत्पाद के रूप में बनाया जाए। प्रक्रिया
के दौरान इसे पर्याप्त रूप से पकाया जाता है ताकि यह खाने के लिए तैयार उत्पाद के
रूप में प्रस्तुत की जा सके। सीआईएफटी द्वारा इस मछली से स्मोक्ड उत्पाद प्राप्त
करने की विधि की तकनीक का मानकीकरण किया गया है।
पूरी मछली में से सिर व आँत निकाल कर, उसे चीर कर खोल दिया जाता है। 15 मिनट तक 10% ब्राइन में शीतल ब्लीचिंग की जाती है। अपेक्षित रंग और फ्लेवर (स्वाद व सुगंध) प्राप्त करने के लिए इसे 3 घंटे तक 60° सेंटीग्रेड पर हॉट स्मोक्ड किया गया। शीतन स्थिति में किये गये भंडारण अध्ययन से पता चला कि वायु पैक नमूनों से तुलना की जाने पर निर्वात में पैक किये गये स्मोक्ड ट्राउट की जीवन अवधि 11 सप्ताह अधिक है।
कोटेड फिल्लेट्स
कोटेड उत्पाद मूल्य संवर्धित मदों में से एक है जिसकी माँग
बहुत ही अधिक है। बैटरिंग और ब्रेडिंग क्रिया के माध्यम से दिखावट में निखार आती
है। पूरी ट्राउट से प्राप्त त्वचाहीन फिल्लेट्स को बैटरिंग और ब्रेडिंग से पहले 10 मिनट तक 5% नमक में और 0.1% साइट्रिक
एसिड में शीत ब्लीच किया जाता है। इस उत्पाद को -18 ° सेंटीग्रेड
ताप पर 12 महीने तक अच्छी स्थिति में रखी जाती है।
पूरी मछली की आँत को निकालकर, धोकर एक समान आकार के स्टीकों (माँस
के टिक्के) में काटा जाता है। इसे 0.5% साइट्रिक एसिड वाले 10%
सोडियम क्लोराइड में 10 मिनट तक ब्लीच किया
जाता है और 2 घंटे तक 45 ° सेंटीग्रेड
पर स्मोक्ड किया गया और फिर आंशिक रूप से 1 घंटे तक सुखाया
गया। 307 X 109 टीएफएस कैन में लगभग 120 ग्राम के स्टीकों को पैक किया गया। रिफ़ाइन्ड मूंगफली के तेल में कैन को 121° सेंटीग्रेड
पर ताप प्रसंस्करण किया गया। स्मोक और कैन किये हुए तेल वाले ट्राउट स्टीक एक
उत्तम उत्पाद है। बढ़िया परिस्थिति में इसकी जीवन अवधि 1 वर्ष
से अधिक होती है।
निदेशक
केन्द्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.सी.ए.आर),
सी.आई.एफ.टी जंक्शन, मत्स्यपुरी पी.ओ.
विलिंगडन आईलैंड, कोचीन - 682 029,
केरल (भारत), फोन : 91(0)
484-2666845, फैक्स : 91(0) 484-2668212
ई-मेल: cift@ciftmail.org
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